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मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...

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दुर्भाग्य से बरसात बहुत जल्दी शुरू हो गई। एक बार पानी बरसना शुरू हुआ तो फिर कई हफ्ते तक रुका ही नहीं। एक बार के भीगे बिस्तर-कपड़े सूख न पाते कि दुबारा फिर भीग जाते। रात में जब हम मीठी-मीठी नींद में सो रहे होते कि बारिश शुरू हो जाती और हवा के तेज झोंकों से हमारे बिस्तर भीग जाते। आखिर में हमने यह तय किया कि बरसात का मौसम हम जानवरों वाली कोठरी में बिताएंगे।

उन दिनों खाना पकाने का काम नहीं ही हो पाता था क्योंकि न तो सूखी लकड़ियां मिल पाती थीं और न दूसरी सहूलियतें ही थीं। इसलिए कच्ची सब्जियों, फलों और दूध से काम चलाना पड़ता। जब कभी लकड़ियों की व्यवस्था हो जाती तो रोटियां पका ली जातीं और अंडे उबाल लिए जाते। अंडों से पूरा न पड़ता तो रोटियों पर शहद लगाकर काम चलाते।

ऐसी हालत में दिन का हमारा सारा समय जानवरों की देख-भाल और दूध दुहने में बीतता था। लेकिन जैसे ही अंधेरा घिरने लगता, दो-तीन मोमबत्तियां जलाकर मेज के बीचों-बीच रख दी जातीं और सब लोग उसके चारों ओर बैठ जाते। 

पत्नी-सीने-काढ़ने का काम करती रहती और मैं बच्चों की मदद से इस द्वीप के अपने अनुभव लिखता रहता। मैं बोलता जाता था और अर्नेस्ट अपनी सुंदर लिखावट में उन्हें लिखता जाता था। फ्रिट्‌ज और जैक ड्राइंग मे माहिर थे, इसलिए चित्रकारी का काम उनके जिसे था। आज सोचता हूं कि अगर उन बच्चों ने मेरी मदद न की होती तो शायद यह किताब आपके हाथों में न पहुंच पाती।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. एक
  3. दो
  4. दो
  5. तीन
  6. तीन
  7. चार
  8. चार
  9. पाँच
  10. पाँच
  11. छह
  12. छह
  13. सात
  14. सात
  15. आठ
  16. आठ
  17. नौ
  18. नौ
  19. दस
  20. दस

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